पापा मुझको फिर से अपनी मोनू बना लो ना | आये आज इस कहानी को पढ़ते है

पापा मुझको फिर से अपनी मोनू बना लो ना | आये आज इस कहानी को पढ़ते है

ये कहानी हमारे मनीता अग्रवाल जी की तरफ से लिखा गया है | बिना किसी समय को नुकसान करते हुए इस कहारी को पढ़ते है ये कहानी कैसा लगा अपनी राय जरुर दीजियेगा ऐसे ही कहानी को पढने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए |

 

पापा मुझको फिर से अपनी मोनू बना लो  ना,

मम्मा आप अपनी गोदी मे सुला लो ना,

बचपन की वो मस्ती,

संग भैया का,सब फिर से लौटा दो ना,

पापा मुझको…….

भैया के संग साइकिल पर घूमना

भैया का मुझे परेशान करना

पापा से रोकर अपनी शिकायत बताना

फिर भैया का पिट जाना

सब कुछ बहुत याद आता है

मुझको फिर से वो बचपन लौटा दो ना

पापा मुझको ………

खो गई कहीं सारी मस्ती

सिर्फ याद है अपनी गृहस्थी

मम्मा अब होता है एहसास

कैसे संभाला होगा आपने सब कुछ

मुझको फिर से अपनी गोद मे सुला लो ना

वो बचपन के दिन लौटा दो ना।।।।

पापा मुझको फिर से अपनी मोनू बना लो ना।।।।

Rohit Mishra

Rohit Mishra