उत्तराखंड वन विभाग के रिसर्च डिपार्टमेंट ने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित गांव माणा में तीन एकड़ जमीन पर भारत का पहला हर्बल गार्डन बनाया है । माणा, भारत-चीन सीमा के पास भारत का आखिरी गांव है जो समुद्री तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है ।
हर्बल गार्डन का निर्माण Compensatory Afforestation Fund Act Scheme के तहत किया गया है जो केंद्र सरकार के वन विभाग के अंतर्गत आता है ।
चीफ़ कन्जर्वेटर ऑफ फाॅरेस्ट, संजीव चतुर्वेदी ने जानकारी दी कि इस हर्बल गार्डन मुख्य उद्देश्य उन पेड़ – पौधों और औषधीय पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करना है जो खतरे में है और स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड की रेड लिस्ट में शामिल हैं । इस हर्बल गार्डन में एल्पाइन वृक्ष की 40 प्रजातियां भी शामिल हैं । जो उच्च हिमालयी एल्पाइन क्षेत्रों में ही पाई जाती है ।
यह हर्बल गार्डन चार (4) भागों में बांटा गया है-
# पहले भाग में भगवान विष्णु से जुड़े पेड़ और पौधे हैं । जैसे – तुलसी, बदरी बेर ( बदरी बेर बहुत पौष्टिक फल होता है ), भोजपत्र आदि ।
# दूसरे भाग में अष्टवर्ग प्रजातियों के पौधे हैं । जैसे – रिद्धि, वृद्धि, जीवक, ऋषभक, काकोली,क्षीर काकोली, मैदा और महा मैदा के पौधे ।
# तीसरे भाग में कमल फूल की प्रजातियां हैं । जैसे – ब्रह्म कमल, फेम कमल,नील कमल और कूट ।
# चौथे भाग में दुर्लभ वृक्ष एवं औषधीय पौधे लगाए गए हैं । जैसे – अतीश, मीठा विष, छोटा अतीश, वन ककड़ी, चोरु, पाषाणभेद, कुटकी, तानसेन का पेड़ और थुनेर का पेड़ ( थुनेर पेड़ की छाल का इस्तेमाल कैंसर रोधी दवाई बनाने में किया जाता है। )।