सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधाओं की दुर्दशा: एक रिपोर्ट

सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधाओं की दुर्दशा: एक रिपोर्ट

देश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा के हालात बेहद चिंताजनक हैं। 15 अगस्त की देर रात, देशी जागरण की एक टीम ने दिल्ली के कुछ प्रमुख सरकारी अस्पतालों का दौरा किया और वहां की स्थितियों का जायजा लिया। इस दौरे के दौरान जो तस्वीर सामने आई, वह न केवल चौंकाने वाली थी, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पोल भी खोलकर रख दी।

सबसे पहले टीम ने सफदरजंग अस्पताल का दौरा किया, जो देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित सरकारी अस्पतालों में से एक है। यहाँ की स्थिति ने वास्तव में हैरान कर दिया। एक रेजिडेंट डॉक्टर ने बातचीत के दौरान बताया कि महिला डॉक्टरों के लिए अलग से ड्यूटी रूम की भारी कमी है। लंबे समय तक काम करने वाली महिला डॉक्टरों के लिए न तो आराम करने के लिए कोई उचित जगह है और न ही वॉशरूम जैसी बुनियादी सुविधाएं। यहां के वॉशरूम इतने गंदे हैं कि उनका उपयोग करना भी मुश्किल हो जाता है। फ्लश काम नहीं करते और पानी की भी भारी कमी रहती है। ऐसी परिस्थितियों में काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

सफदरजंग अस्पताल में महिलाओं के लिए सुविधाओं की कमी का मामला केवल यहीं तक सीमित नहीं है। डॉक्टरों ने बताया कि लंबी शिफ्ट्स के दौरान आराम के लिए कोई निजी क्षेत्र नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी होती है। खासकर रात की शिफ्ट के दौरान, अस्पताल के अंधेरे गलियारों में चलने से महिला डॉक्टरों को डर लगता है। अस्पताल के प्रबंधन को इन मुद्दों के बारे में जानकारी होने के बावजूद, कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्थिति भी सफदरजंग से कुछ अलग नहीं है। यहां भी वॉशरूम की हालत खस्ता है। अस्पताल के गलियारों में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है, जिससे रात के समय महिला डॉक्टरों को असुरक्षित महसूस होता है। कई बार तो डॉक्टरों को इन अंधेरे गलियारों से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे उनके साथ किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है।

अस्पताल की सुरक्षा के मामले में भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। रात की शिफ्ट में महिला डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। एक महिला डॉक्टर ने बताया कि रात के समय जब वे मरीजों की देखभाल के लिए वार्ड में जाती हैं, तो उन्हें असुरक्षित महसूस होता है। अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों की संख्या भी काफी कम है, जिससे सुरक्षा की स्थिति और भी बदतर हो जाती है।

देशी जागरण की टीम ने जब अस्पताल प्रशासन से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वॉशरूम की सफाई और रखरखाव के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि वास्तव में ऐसा कुछ किया जा रहा है या नहीं।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रशासन ने भी वॉशरूम और सुरक्षा के मुद्दों पर चुप्पी साध ली। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इन मुद्दों पर जल्द ही ध्यान दिया जाएगा, लेकिन कब और कैसे यह स्पष्ट नहीं किया।

यह सवाल उठता है कि जब देश की राजधानी के बड़े-बड़े अस्पतालों में इस तरह की बदइंतजामी है, तो अन्य छोटे शहरों और गांवों के अस्पतालों की स्थिति क्या होगी? महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा के मामले में सरकारी अस्पतालों की यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।

सरकारी अस्पतालों में सुधार की जरूरत है और यह सुधार केवल भवनों और उपकरणों तक सीमित नहीं होना चाहिए। महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। वॉशरूम की साफ-सफाई और सुरक्षा के मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, महिला डॉक्टरों के लिए अलग से ड्यूटी रूम और आराम करने की जगह की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर भी सख्त नीतियों की जरूरत है। इसके लिए अस्पतालों में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बल की तैनाती की जानी चाहिए। साथ ही, वॉशरूम की सफाई के लिए नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना चाहिए ताकि इनका उपयोग आराम से किया जा सके।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा का सवाल केवल अस्पताल प्रशासन का नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का मुद्दा है। महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक कार्यस्थल उपलब्ध कराना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, ताकि वे बिना किसी डर और असुविधा के अपनी सेवाएं दे सकें।

सरकार और संबंधित अधिकारियों को इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, ताकि महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को बेहतर कार्यस्थल मिल सके और वे अपनी सेवाएं बिना किसी असुविधा के जारी रख सकें।

Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh