जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, परंतु मथुरा में इसकी विशेष महत्ता है। मथुरा, जो श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, यहां जन्माष्टमी के दौरान अद्वितीय उत्साह और उमंग का माहौल होता है।
जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में मनाने की परंपरा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, इसलिए मथुरा में इस पर्व का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी के दिन मथुरा के हर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का मंचन किया जाता है। रात्रि के समय मथुरा के मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और मंगला आरती होती है।
मथुरा में जन्माष्टमी की धूमधाम देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहां के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, और इस्कॉन मंदिर में भव्य आयोजन होते हैं। मंदिरों को फूलों और रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया जाता है। श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं।
मथुरा के अलावा वृंदावन, गोवर्धन, और गोकुल में भी जन्माष्टमी का विशेष उत्सव मनाया जाता है। वृंदावन में इस दिन विशेष रासलीला का आयोजन होता है, जिसमें श्रीकृष्ण और राधा की लीला का मंचन किया जाता है। गोवर्धन में लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं।
उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में भी जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। महाराष्ट्र में दही-हांडी का आयोजन विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस दौरान लोग श्रीकृष्ण के माखन चोरी के प्रसंग को याद करते हुए ऊंची-ऊंची मटकी फोड़ते हैं। गुजरात के द्वारका में भी भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में जन्माष्टमी का भव्य आयोजन होता है। राजस्थान में मंदिरों और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कई जगहों पर जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, और नाटक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया जाता है। बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है, जिसमें वे भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रूप में सजते हैं।
जन्माष्टमी का यह पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण शिक्षाओं की याद दिलाता है। उनके उपदेश जैसे कर्म योग, भक्ति योग, और ज्ञान योग हमें जीवन में सच्चाई, प्रेम, और कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा देते हैं। इस दिन हम भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का संकल्प लेते हैं।
मथुरा और अन्य जगहों पर जन्माष्टमी का उत्सव इस बात का प्रमाण है कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा आज भी उतनी ही गहरी है जितनी उनके समय में थी। जन्माष्टमी के इस अवसर पर लोग आपस में भाईचारे और प्रेम की भावना को बढ़ावा देते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध बनाते हैं।
जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर हम सभी को भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सच्चाई, प्रेम, और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। इस दिन को धूमधाम से मनाने के साथ ही हमें उनके उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध हो, यही कामना है।