बाबा सिद्दीकी मर्डर केस: आरोपी धर्मराज कश्यप निकला बालिग, बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट में पुष्टि

बाबा सिद्दीकी मर्डर केस: आरोपी धर्मराज कश्यप निकला बालिग, बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट में पुष्टि

बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में एक अहम मोड़ उस वक्त आया जब आरोपी धर्मराज कश्यप के बालिग होने की पुष्टि बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट के माध्यम से हुई। इस खुलासे के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है, क्योंकि धर्मराज कश्यप पहले अपने नाबालिग होने का दावा कर रहा था। यह दावा केस की जाँच और न्यायिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकता था, लेकिन अब उसके बालिग होने की पुष्टि के बाद केस की दिशा बदल सकती है।

मामला क्या है?

बाबा सिद्दीकी, जो कि एक जाने-माने सामाजिक और राजनीतिक हस्ती थे, की हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। इस हत्या के पीछे कई तरह की साजिशें और षड्यंत्र के आरोप लगाए गए थे। पुलिस ने इस मामले में धर्मराज कश्यप को मुख्य आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया था। हालाँकि, गिरफ्तारी के बाद से ही धर्मराज ने अपने नाबालिग होने का दावा किया, जिसके कारण उसे एक किशोर न्यायालय में पेश किया गया।

धर्मराज का दावा था कि जब यह घटना घटी, तब उसकी उम्र 18 साल से कम थी, और इसलिए उसे एक नाबालिग के तौर पर कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए। भारतीय कानून के तहत, यदि कोई अपराधी नाबालिग साबित होता है तो उसे किशोर न्याय अधिनियम के तहत कम सजा मिलती है। ऐसे मामलों में आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा जाता है, न कि वयस्क जेल में।

बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ी?

धर्मराज के नाबालिग होने के दावे को चुनौती देने के लिए पुलिस ने उसकी उम्र की वैज्ञानिक जांच कराने का फैसला किया। इसके लिए बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट का सहारा लिया गया। यह टेस्ट एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की हड्डियों की परिपक्वता का पता लगाया जाता है, जिससे उसकी वास्तविक उम्र का निर्धारण किया जा सकता है।

इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि किसी व्यक्ति की हड्डियों की बढ़ोतरी किस स्तर पर है। हड्डियों की ग्रोथ की प्रक्रिया को देखते हुए उनकी उम्र का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। धर्मराज के मामले में यह टेस्ट इसलिए अहम था क्योंकि अगर वह बालिग साबित होता है, तो उसे वयस्क अदालत में सजा भुगतनी होगी और उसकी सजा की गंभीरता भी बढ़ सकती है।

टेस्ट की रिपोर्ट और नतीजे

बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मराज कश्यप की हड्डियों की परिपक्वता यह दर्शाती है कि वह बालिग है। यह रिपोर्ट सीधे तौर पर उसके नाबालिग होने के दावे को खारिज करती है। टेस्ट के बाद प्राप्त रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि घटना के समय धर्मराज की उम्र 18 साल से अधिक थी। यह जानकारी कोर्ट के सामने प्रस्तुत की गई और अब इसे कानूनी तौर पर मान्यता दी गई है।

केस पर प्रभाव

धर्मराज कश्यप के बालिग साबित होने के बाद अब इस केस की दिशा बदल गई है। पहले जहाँ उसे किशोर न्यायालय के तहत सजा होने की संभावना थी, अब उसे वयस्क अदालत में पेश किया जाएगा। इसका मतलब है कि अगर धर्मराज दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्रकैद या फाँसी जैसी कठोर सजा भी सुनाई जा सकती है।

इस खुलासे ने आरोपी और बचाव पक्ष की रणनीति को भी प्रभावित किया है। अब धर्मराज के वकीलों को उसकी उम्र से जुड़े कानूनी दावों को पीछे छोड़कर हत्या के आरोपों से बचाव के लिए दूसरी रणनीतियाँ अपनानी होंगी। वहीं, अभियोजन पक्ष के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है क्योंकि वे शुरू से ही यह दावा कर रहे थे कि धर्मराज बालिग है और उसे वयस्क अपराधी के तौर पर सजा मिलनी चाहिए।

समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया

बाबा सिद्दीकी मर्डर केस पहले ही काफी चर्चा में था, लेकिन इस नए मोड़ के बाद यह केस और भी ज्यादा सुर्खियाँ बटोर रहा है। कई सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ संगठनों का कहना है कि न्यायपालिका को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि समाज में ऐसा संदेश जाए कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, कानून से बच नहीं सकता।

वहीं दूसरी ओर, कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इस मामले में आरोपी के अधिकारों की बात की है। उनका कहना है कि आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिलना चाहिए और उसके बचाव में जो भी कानूनी प्रक्रिया हो, उसे पूरा करने का समय दिया जाना चाहिए।

बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट पर उठे सवाल

हालाँकि, बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट के नतीजों के बाद आरोपी के बालिग होने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस प्रक्रिया पर सवाल भी उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यह टेस्ट 100% सटीक नहीं होता है और इसमें कुछ प्रतिशत त्रुटि की संभावना बनी रहती है। खासकर उन मामलों में जहाँ व्यक्ति की उम्र 18 के आसपास होती है, वहाँ हड्डियों की बढ़त के आधार पर सटीक उम्र का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

फिर भी, भारत में कानूनी प्रक्रिया के तहत इस टेस्ट को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और इसे एक मानक प्रक्रिया माना जाता है। इसलिए, धर्मराज कश्यप के मामले में भी इस टेस्ट को अदालत द्वारा मान्यता दी गई है और इसे अंतिम फैसला मानते हुए केस की कार्यवाही आगे बढ़ेगी।

निष्कर्ष

बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में आरोपी धर्मराज कश्यप के बालिग होने की पुष्टि ने मामले को एक नया मोड़ दिया है। अब इस केस में धर्मराज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है, और अगर वह दोषी पाया जाता है, तो उसे कठोर सजा मिलने की संभावना बढ़ गई है। इस केस से यह संदेश भी जाता है कि कानून से बचना आसान नहीं है, चाहे आरोपी किसी भी उम्र का हो।

आने वाले दिनों में इस केस की सुनवाई पर सभी की निगाहें होंगी, क्योंकि यह मामला सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण हो चुका है।

Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh