2 अक्टूबर का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह दिन महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में अहिंसा और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी जीवनशैली, आदर्श और उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बने। इस लेख में हम जानेंगे कि 2 अक्टूबर का महत्व क्या है, महात्मा गांधी का जीवन परिचय, उनके विचार और उनके योगदान को किस प्रकार सम्मानित किया जाता है।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई और बाद में वे इंग्लैंड गए, जहाँ से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वे 1891 में भारत लौटे और कुछ समय के लिए वकालत की प्रैक्टिस की। इसके बाद वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहाँ उन्होंने नस्लीय भेदभाव का सामना किया। इसी दौरान उनके मन में अहिंसा और सत्याग्रह की नींव पड़ी, जिसने आगे चलकर भारत में उनके संघर्ष का आधार बनाया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अद्वितीय था। उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक किया और उन्हें यह एहसास दिलाया कि स्वतंत्रता अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। 1915 में गांधीजी ने भारत वापसी की और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया। 1919 में, रॉलेट एक्ट के विरोध में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध का प्रदर्शन करना था।
1920 और 1930 के दशकों में महात्मा गांधी ने कई आंदोलनों की अगुवाई की। इनमें प्रमुख रूप से असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च), और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं। उनका विश्वास था कि ब्रिटिश शासन को बिना किसी हिंसा के समाप्त किया जा सकता है, यदि भारतीय लोग संगठित होकर शांतिपूर्ण विरोध करें। उनके इस दर्शन को सत्याग्रह कहा गया, जिसका अर्थ है “सत्य की शक्ति”। सत्याग्रह के माध्यम से गांधीजी ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया और देश को स्वतंत्रता के पथ पर अग्रसर किया।
महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत
महात्मा गांधी के जीवन का केंद्रबिंदु अहिंसा था। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा के बिना संभव है। उनका यह विचार न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बल्कि विश्वभर में मानवता के लिए महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में स्थापित हुआ। अहिंसा का अर्थ है किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक या मौखिक हिंसा से दूर रहना।
सत्य और अहिंसा के साथ-साथ स्वदेशी, शांति, और धर्मनिरपेक्षता भी गांधीजी के प्रमुख विचार थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया ताकि देश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके और ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार किया जा सके। वे धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर थे और सभी धर्मों का समान आदर करते थे। उनका मानना था कि धर्म को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार का विभाजन न हो।
2 अक्टूबर: गांधी जयंती का महत्व
2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन हमें गांधीजी के जीवन और उनके द्वारा स्थापित मूल्यों की याद दिलाता है। भारत में इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है, और इस दिन विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, संगठनों और सरकारी कार्यालयों में गांधीजी के योगदान को सम्मानित करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में महात्मा गांधी के सिद्धांतों का आदर किया जाता है। 15 जून 2007 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में घोषित किया। यह निर्णय महात्मा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध और विश्व शांति के लिए किए गए उनके योगदान के प्रति वैश्विक मान्यता का प्रतीक था। इस दिन दुनिया भर में शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों का आयोजन किया जाता है।
गांधीजी की प्रासंगिकता आज के समाज में
महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि उनके समय में थे। विश्व में आज भी हिंसा, असमानता और अन्याय की समस्याएं मौजूद हैं, और गांधीजी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों का पालन करके हम इन समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं। उनके द्वारा दिया गया ‘स्वराज’ का विचार, जो आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता पर आधारित था, आज भी आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में, जब हम जलवायु परिवर्तन, गरीबी, और नस्लीय भेदभाव जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, गांधीजी के जीवन और उनके आदर्श हमें एक बेहतर और शांतिपूर्ण दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके सिद्धांतों पर आधारित विकास मॉडल और विचारधाराएं आज भी सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक सुधार के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
निष्कर्ष
2 अक्टूबर, महात्मा गांधी की जयंती, हमें उनके द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। गांधीजी ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उनके विचार और सिद्धांत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। उनका जीवन, उनकी शिक्षाएं और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत आज भी हमें न्याय, शांति और मानवता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करती हैं।
इसलिए, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य उनके योगदान को याद करना, उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारना और उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। उनका जीवन सत्य, अहिंसा, और न्याय की मिसाल है, जो हमें सिखाता है कि परिवर्तन लाने के लिए हिंसा की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सच्चाई और अहिंसा के साथ भी बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।