रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाई-बहन के बीच के बंधन और स्नेह को समर्पित होता है। इस त्योहार में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती है, जबकि भाई बहन की सुरक्षा और संरक्षण का वचन देता है। रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व सदियों पुराना है और इसमें कई धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक पहलू शामिल हैं।
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन का इतिहास विभिन्न पुराणों और ऐतिहासिक घटनाओं में मिलता है। यह त्योहार वैदिक काल से ही मनाया जाता रहा है। एक प्रमुख पौराणिक कथा में, महाभारत के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मारा, तो उनकी अंगुली में चोट लग गई। इस चोट से खून बहने लगा, और यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण की अंगुली पर बांध दिया। इस घटना से प्रभावित होकर कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि जब भी वह संकट में होंगी, वह उनकी रक्षा करेंगे। इस घटना को रक्षाबंधन का आरंभिक रूप माना जाता है।
इसके अलावा, रानी कर्णावती और मुग़ल सम्राट हुमायूँ की कहानी भी प्रसिद्ध है। 16वीं शताब्दी में, जब चित्तौड़ की रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह द्वारा हमले का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने हुमायूँ को एक राखी भेजी और अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। हुमायूँ ने राखी की मर्यादा का सम्मान करते हुए तुरंत रानी की मदद के लिए अपनी सेना भेजी।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह त्योहार न केवल भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकजुटता और सद्भावना का भी प्रतीक है। रक्षाबंधन के दिन, भाई-बहन एक-दूसरे को तोहफे देते हैं, जिससे उनके बीच की बंधन और मजबूत होती है। यह त्योहार समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति लोगों को जागरूक करता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, रक्षाबंधन का महत्व यह है कि यह त्योहार एक आध्यात्मिक बंधन का प्रतीक है। हिन्दू धर्म में राखी को रक्षा सूत्र के रूप में माना जाता है, जो भाई की रक्षा और समृद्धि के लिए बंधी जाती है।
रक्षाबंधन के रीति-रिवाज और परंपराएं
रक्षाबंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों के लिए पूजा की थाली तैयार करती हैं जिसमें राखी, रोली, चावल, दीपक, और मिठाइयाँ होती हैं। वे भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, उसके माथे पर तिलक लगाती हैं, और मिठाई खिलाती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार और उसकी सुरक्षा का वचन देता है।
आज के समय में, रक्षाबंधन का पर्व केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में फैले भारतीय समुदायों द्वारा भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार ने विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों के बीच एकता और सद्भाव का संदेश फैलाया है।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन का त्योहार केवल एक धार्मिक अनुष्ठान या सामाजिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के गहरे मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है। यह त्योहार प्रेम, सुरक्षा, और समर्पण का प्रतीक है, जो भाई-बहन के बंधन को और भी अधिक मजबूत बनाता है। रक्षाबंधन के माध्यम से समाज में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के प्रति एक सकारात्मक संदेश जाता है। इसलिए, यह त्योहार केवल एक राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में स्नेह, प्रेम और एकजुटता का पर्व है।